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Monday, June 30, 2014

Fwd: [VISHWA JAGRITI MISSION] गुरुवाणी।

Fwd: [Sarathi] एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसे तो घडी...



Anil Singh
एक बार एक किसान की घड़ी कहीं खो गयी. वैसे तो घडी कीमती नहीं थी पर किसान उससे भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ था और किसी भी तरह उसे वापस पाना चाहता था.
उसने खुद भी घडी खोजने का बहुत प्रयास किया, कभी कमरे में खोजता तो कभी बाड़े तो कभी अनाज के ढेर में ….पर तामाम कोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली. उसने निश्चय किया की वो इस काम में बच्चों की मदद लेगा और उसने आवाज लगाई , " सुनो बच्चों , तुममे से जो कोई भी मेरी खोई घडी खोज देगा उसे मैं १०० रुपये इनाम में दूंगा."
फिर क्या था , सभी बच्चे जोर-शोर दे इस काम में लगा गए…वे हर जगह की ख़ाक छानने लगे , ऊपर-नीचे , बाहर, आँगन में ..हर जगह…पर घंटो बीत जाने पर भी घडी नहीं मिली.
अब लगभग सभी बच्चे हार मान चुके थे और किसान को भी यही लगा की घड़ी नहीं मिलेगी, तभी एक लड़का उसके पास आया और बोला , " काका मुझे एक मौका और दीजिये, पर इस बार मैं ये काम अकेले ही करना चाहूँगा."
किसान का क्या जा रहा था, उसे तो घडी चाहिए थी, उसने तुरंत हाँ कर दी.
लड़का एक-एक कर के घर के कमरों में जाने लगा…और जब वह किसान के शयन कक्ष से निकला तो घड़ी उसके हाथ में थी.
किसान घड़ी देख प्रसन्न हो गया और अचरज से पूछा ," बेटा, कहाँ थी ये घड़ी , और जहाँ हम सभी असफल हो गए तुमने इसे कैसे ढूंढ निकाला ?"
लड़का बोला," काका मैंने कुछ नहीं किया बस मैं कमरे में गया और चुप-चाप बैठ गया, और घड़ी की आवाज़ पर ध्यान केन्द्रित करने लगा , कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे गयी , जिससे मैंने उसकी दिशा का अंदाजा लगा लिया और आलमारी के पीछे गिरी ये घड़ी खोज निकाली."
Friends, जिस तरह कमरे की शांति घड़ी ढूढने में मददगार साबित हुई उसी प्रकार मन की शांति हमें life की ज़रूरी चीजें समझने में मददगार होती है . हर दिन हमें अपने लिए थोडा वक़्त निकालना चाहिए , जसमे हम बिलकुल अकेले हों , जिसमे हम शांति से बैठ कर खुद से बात कर सकें और अपने भीतर की आवाज़ को सुन सकें , तभी हम life को और अच्छे ढंग से जी पायेंगे .



Sunday, June 29, 2014

हर किसी को

हर किसी को अपनी नींव मजबूत करने के लिए शक्ति लगानी होती है। दुःख, कष्ट नींव मजबूत करने में मदद करते हैं।

Fwd: [AMRIT VANI ] भगवान को भूलना मत




Subject: [AMRIT VANI ] भगवान को भूलना मत



भगवान को भूलना मत






Fwd: [Vanprstha Ashram - Old Age Home] Fwd: [ADHYATMIK] सत्ता की चाह में

सत्ता की चाह में





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* क्या कभी आपने सोचा है -
सत्ता की चाह में सत्य को भूल गये !
मान की चाह में ज्ञान को भूल गये !
धन की चाह में तन को भूल गये !
सुविधा की चाह में सुख को भूल गये!








संग्रह के रोग

संग्रह के रोग को छोडकर भगवान की ओर जाने का प्रयास करें । उसकी कृपा मिल गई तो समझो सब कुछ मिल गया।

Wednesday, June 25, 2014

ahankaar

A B C of happy life

sumiti gupta


tulsi


बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के 5 पत्ते खाने के अनोखे फायदे -----
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तुलसी एक ऐसा पौधा है जो कई तरह के अद्भुत औषधिय गुणों से भरपूर है। हिन्दू धर्म में तुलसी को इसके अनगिनत औषधीय गुणों के कारण पूज्य माना गया है। यही कारण है कि हिन्दू धर्म में तुलसी से जुड़ी अनेक धार्मिक मान्यताएं है और हिन्दू धर्म में तुलसी को घर में लगाना अनिवार्य माना गया है।आज हम बात कर रहे हैं तुलसी के कुछ ऐसे ही गुणों के बारे में....

- मासिक धर्म के दौरान कमर में दर्द हो रहा हो तो एक चम्मच तुलसी का रस लें।इसके अलावा तुलसी के पत्ते चबाने से भी मासिक धर्म नियमित रहता है।

-बारिश के मौसम में रोजाना तुलसी के पांच पत्ते खाने से मौसमी बुखार व जुकाम जैसी समस्याएं दूर रहती है।तुलसी की कुछ पत्तियों को चबाने से मुंह का संक्रमण दूर हो जाता है।मुंह के छाले दूर होते हैं व दांत भी स्वस्थ रहते हैं।

- सुबह पानी के साथ तुलसी की पत्तियां निगलने से कई प्रकार की बीमारियां व संक्रामक रोग नहीं होते हैं।दाद, खुजली और त्वचा की अन्य समस्याओं में रोजाना तुलसी खाने व तुलसी के अर्क को प्रभावित जगह पर लगाने से कुछ ही दिनों में रोग दूर हो जाता है।

- तुलसी की जड़ का काढ़ा ज्वर (बुखार) नाशक होता है।तुलसी,अदरक और मुलैठी को घोटकर शहद के साथ लेने से सर्दी के बुखार में आराम होता है।


Tuesday, June 24, 2014

Monday, June 23, 2014

खुशी

अगर आपकी खुशी शर्तों पर टिकी है और दूसरों पर निर्भर करती है तो आप कभी खुश नहीं हो सकते ।

Friday, June 13, 2014

Fwd: [Deciples-of-Sudhanshujimaharaj] Fwd: [AMRIT VANI ] जीवन को गतिशील

जीवन को गतिशील



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Fwd: [Deciples-of-Sudhanshujimaharaj] sud guru mera


 sud guru mera



 






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Fwd: [Deciples-of-Sudhanshujimaharaj] Fwd: [Sarathi] स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवा: सत्पुरुषा: पिता।...


 स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवा: सत्पुरुषा: पिता।...

Anil Singh
स्वभावेन हि तुष्यन्ति देवा: सत्पुरुषा: पिता। ज्ञातय: स्वन्न-पानाभ्यां वाक्यदानेन पण्डिता:।।
भावार्थ : उत्तम स्वभाव से ही देवता, सज्जन और पिता संतुष्ट होते हैं। बंधु-बांधव खान-पान से और श्रेष्ठ वार्तालाप से पंडित अर्थात विद्वान प्रसन्न होते हैं।




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Fwd: [Deciples-of-Sudhanshujimaharaj] sugandh




jisprakaar
 
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Tuesday, June 10, 2014

Fwd: [www.mgg.santvani] Fwd: [AMRIT VANI ] chahare par muskan ho






 chahare par muskan ho




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Fwd: [www.mgg.santvani] Fwd: [AMRIT VANI ] avsar ka laabh






 avsar ka laabh




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याद रखना

याद रखना कि तुम भी उन्हीं हाथो से बनाए गए हो जिन हाथों से भगवान ने हिमालय बनाया, चाँद सूरज बनाया।

आज का

आज का  कर्म आज ही करें , भविष्य का इन्तज़ार न करें । अतीत से शिक्षा लें, वर्तमान को सँभालें । 

achche bhale

hardwar


hardwar

Friday, June 6, 2014

Fwd: [AMRIT VANI ] Fwd: Whatapp



---------- Forwarded message ----------
From






We need 'Strength' while doing the Possible.

But,

We need 'Faith' while doing the Impossible...


Once Buddha was traveling with a few of his followers.
While they were passing a lake, Buddha told one of his disciples, "I am thirsty. Do get me some water from the lake."

The disciple walked up to the lake.
At that moment, a bullock cart started crossing through the lake.
As a result, the water became very muddy and turbid.

The disciple thought, "How can I give this muddy water to Buddha to drink?"

So he came back and told Buddha, "The water in there is very muddy. I don't think it is fit to drink."

After about half an hour, again Buddha asked the same disciple to go back
to the lake.

The disciple went back, and found that the water was still muddy.

He returned and informed Buddha about the same.

After sometime, again Buddha asked the same disciple to go back.

This time, the disciple found the mud had settled down, and the water was clean and clear.

So he collected some water in a pot and brought it to Buddha.

Buddha looked at the water, and then he looked up at the disciple and said,
" See what you did to make the water clean. You let it be, and the mud settled down on its own, and you have clear water."

Your mind is like that too ! When it is disturbed, just let it be. Give it a little time. It will settle down on its own.

You don't have to put in any effort to calm it down.
It will happen. It is effortless."

Having 'Peace of Mind' is not a strenuous job, it is an effortless process👌so keep ur mind cool and have a grt life ahead...😊




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Posted By Madan Gopal Garga LM VJM to AMRIT VANI at 6/06/2014 10:01:00 AM

Fwd: Whatapp





We need 'Strength' while doing the Possible.

But,

We need 'Faith' while doing the Impossible...


Once Buddha was traveling with a few of his followers.
While they were passing a lake, Buddha told one of his disciples, "I am thirsty. Do get me some water from the lake."

The disciple walked up to the lake.
At that moment, a bullock cart started crossing through the lake.
As a result, the water became very muddy and turbid.

The disciple thought, "How can I give this muddy water to Buddha to drink?"

So he came back and told Buddha, "The water in there is very muddy. I don't think it is fit to drink."

After about half an hour, again Buddha asked the same disciple to go back
to the lake.

The disciple went back, and found that the water was still muddy.

He returned and informed Buddha about the same.

After sometime, again Buddha asked the same disciple to go back.

This time, the disciple found the mud had settled down, and the water was clean and clear.

So he collected some water in a pot and brought it to Buddha.

Buddha looked at the water, and then he looked up at the disciple and said,
" See what you did to make the water clean. You let it be, and the mud settled down on its own, and you have clear water."

Your mind is like that too ! When it is disturbed, just let it be. Give it a little time. It will settle down on its own.

You don't have to put in any effort to calm it down.
It will happen. It is effortless."

Having 'Peace of Mind' is not a strenuous job, it is an effortless process👌so keep ur mind cool and have a grt life ahead...😊


Wednesday, June 4, 2014

Fwd: Whatapp




पांच महत्पूर्ण नियम:                                       (1) घर में बनने वाले मकड़ी के जाले तुरंत हटा दें इनसे आपके अच्छे दिन बुरे दिनों में बदल सकते हैं।
(2) पूजा में चढ़े हुए और मुरझाए हुए फूल घर में नहीं रखें इनसे अशुभ फल मिलता है।
(3) पुराने या टूटे हुए जूते-चप्पल आपको आगे बढऩे से रोक देते हैं। इन्हे घर से निकाल दें।
(4) गाय को कभी भी भूलकर अपनी जूठन नहीं खिलानी चाहिये, गाय साक्षात् जगदम्बा है
(5) यदि नियमित रूप से घर की प्रथम रोटी गाय को तथा अंतिम रोटी कुते को दें तो आपके भाग्य के द्वार खोलने से कोई नही रोक सकता !



Fwd: Watap





ॐ जय गुरूजी ੴ

तेरी चौखट पे आना मेरा काम था....
मेरी बिगड़ी बनाना तेरा काम है।
छोड़ दी किश्ती मैंने तेरे नाम पर.....
अब किनारे लगाना तेरा काम है।। 

सुप्रभात मित्रों !!


Fwd: Whatap





प्रत्येक लाइन गहराई से पढ़े-

✅ गरीब दूर तक चलता है..... खाना खाने के लिए......।
✅ अमीर मीलों चलता है..... खाना पचाने के लिए......।
✅ किसी के पास खाने के लिए..... एक वक्त की रोटी नहीं है.....
✅ किसी के पास खाने के लिए..... वक्त नहीं है.....।
✅ कोई लाचार है.... इसलिए बीमार है....।
✅ कोई बीमार है.... इसलिए लाचार है....।
✅ कोई अपनों के लिए.... रोटी छोड़ देता है...।
✅ कोई रोटी के लिए..... अपनों को छोड़ देते है....।
✅ ये दुनिया भी कितनी निराळी है। कभी वक्त मिले तो सोचना....
✅ कभी छोटी सी चोट लगने पर रोते थे.... आज दिल टूट जाने पर भी संभल जाते है।
✅ पहले हम दोस्तों के साथ रहते थे... आज दोस्तों की यादों में रहते है...।
✅ पहले लड़ना मनाना रोज का काम था.... आज एक बार लड़ते है, तो रिश्ते खो जाते है।
✅ सच में जिन्दगी ने बहुत कुछ सीखा दिया, जाने कब हमकों इतना बड़ा बना दिया।
जिंदगी बहुत कम है, प्यार से जियो



Fwd: WHatap





राधे राधे,
आज का भगवद चिन्तन,   
     भोगी के लिए वन में भी भय है , योगी के लिए घर में भी वन जैसा आनन्द है। जो विकार मुक्त हो चुका है वह हर जगह शांति का अनुभव करेगा। श्री कृष्ण कहते हैं कि तुम केवल वाहरी चीजों को बदलने में लगे रहते हो , अंतस को बदलने का कभी भी प्रयत्न नहीं करते।
      कर्म करते समय संसार जैसा व्यवहार करो पर चेतना इतनी सम्पन्न हो कि भीतर से हम ज्ञान की असीम ऊंचाइयों पर हों। जैसे पतंग उड़ाने वाला डोरी अपने हाथ में रखता है और पतंग उलझने पर तुरंत अपने पास खींच लेता है। ज्ञान युक्त विचारों से कर्म करोगे तो कहीं उलझोगे ही नहीं।
     परम तत्व का हर क्षण स्मरण करो , वो ही तो सब कुछ करा रहा है और करने के लिए प्रेरित कर रहा है। ये पवित्र विचार, भगवद चिन्तन, अच्छे कर्म , गौ सेवा , नाम स्मरण , संत सेवा , उस परम की कृपा से ही तो सब हो रहा है। अपने को कर्ता और कारण मत मानो, प्रभु की कृपा अनुभव करो।

                          
संजीव कृष्ण ठाकुर जी (वृन्दावन)



chun chun kar

Har saans


Sumiti Gupta Vjm
Har saans mein ho simran tera; yoon beet jaye jeevan mera
teri puja kartey beetey saanjh savera; yoon beet jaye jeevan mera
naino ki khidki se tumko pal pal mein niharoon
mann mein bithaloon teri arti utaroon;
Daale rahoon tere charanon mein dera, yoon beet jaye jeevan mera !
Guruvar ke charanon mein Naman Naman Naman!

haathon ko


Vijay Laxmi Garg
Binaa Dharti ki Urvaraa ke Beej phal nahi sakta.
Apne Udgam 
ko bhool na jaana, Un haathon ko bhool na jaana, jinhone aapko saheja hai sambhala hai.

जो आत्मसंतुष्ट

जो आत्मसंतुष्ट है वह दुनिया का सबसे धनवान व्यक्ति है।

 

परम पूज्य सुधांशुजी महाराज